Marathi Mangalashtak With Lyrics | मराठी मंगलाष्टक व लग्न गीते | Tulsi Vivah तुलसी के विवाह 8 मंगलाष्टक

 

Read - Tulsi Wedding Mangalashtak in Marathi - तुळशीच्या लग्नाची मंगलाष्टकं 

  तुळशीच्या लग्नाची मंगलाष्टके / तुळशी विवाह मंगलाष्टक (Tulashi Lagn Mangal Ashtak)

स्वस्ति श्री गणनायक गजमुख ,मोरेश्वरह सिद्धीदं । बलाळो मुरुड विनायकमह चिंतामणी स्थेवर ॥ लेण्याद्री घरी गिरिजात्मक सुरुवरदं ,विघ्नेश्रम ओझरम । ग्रामे रांजन संस्थितम गणपति कुर्यात सदा मंगलम ॥१॥

गंगा सिंधू सरस्वती यमुना गोदावरी नर्मदा । कावेरी शरयू महिंद्रतनया शर्मनवती वेदिका । क्षिप्रा वेदवती महासुर नदी ,ख्याता गया गंडकी | पूर्णा पूर्ण जलै समुद्र सरिता ,कुर्यात सदा मंगलम  ॥२॥

गाव कामदुधा सुरेश्वर गजो रंभादिदेवांगना | सप्त मुखाोविषम हरि शंखोमृतम चांबुधे।रत्नानिह चतुर्दश प्रतिदिनम कुर्यात सदा मंगलम  ॥३॥

राजा भीमक रुखिणिस नयनी, देखोनी चिंता करी। ही कन्या सगुणा वरा नपवरा, कवणासि देईजे॥ आता एक विचार कृष्णा नवरा त्याशी समर्पू म्हणे। रुखमी पुत्र वडील त्यासी पुसणे, कुर्यात सदा मंगलम ॥४॥

लक्ष्मी कौस्तुभ पांचजनय धनु हे अंगीकारी श्रीहरी । रंभा कुंजर पारिजातक सुधा, देवेंद्र हे आवरी ॥ दैत्या प्राप्ती सुरा विधू विष हरा.उच्चै श्रवा भास्करा । धनु वैद्य वधू वराशि चवदा , कुर्यात सदा मंगलम .॥५॥

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Hindu Vivah Paddhati Details In Hindi and Sanskrit


तुलसी विवाह देव उठनी ग्यारस का पर्व इस साल 8 नवंबर दिन शुक्रवार को है। अगर किसी के जीवन में अमंगल या अप्रिय घटनाएं बार-बार घटित हो रही हो तो उनसे मुक्ति पाने के लिए देव उठनी ग्यारस के दिन गोधूली बेला में भगवान शालिग्राम व तुलसी के विवाह में इन 8 मंगलाष्टक मंत्रों का पाठ करने से परिवार में अन्न वृद्धि, बल वृद्धि, धन वृद्धि, सुख वृद्धि, प्रजा पालन, ऋतु व्यवहार एवं मित्रता में वृद्धि होने के साथ जीवन के सारे अमंगल भी दूर होने लगेंगे।

।। अथ मंगलाष्टक मंत्र ।।

1- ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः। चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः। प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः, स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

2- गंगा गोमतिगोपतिगर्णपतिः, गोविन्दगोवधर्नौ, गीता गोमयगोरजौ गिरिसुता, गंगाधरो गौतमः। गायत्री गरुडो गदाधरगया, गम्भीरगोदावरी, गन्धवर्ग्रहगोपगोकुलधराः, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

3- नेत्राणां त्रितयं महत्पशुपतेः अग्नेस्तु पादत्रयं, तत्तद्विष्णुपदत्रयं त्रिभुवने, ख्यातं च रामत्रयम्। गंगावाहपथत्रयं सुविमलं, वेदत्रयं ब्राह्मणम्, संध्यानां त्रितयं द्विजैरभिमतं, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

4- बाल्मीकिः सनकः सनन्दनमुनिः, व्यासोवसिष्ठो भृगुः, जाबालिजर्मदग्निरत्रिजनकौ, गर्गोऽ गिरा गौतमः। मान्धाता भरतो नृपश्च सगरो, धन्यो दिलीपो नलः, पुण्यो धमर्सुतो ययातिनहुषौ, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

5- गौरी श्रीकुलदेवता च सुभगा, कद्रूसुपणार्शिवाः, सावित्री च सरस्वती च सुरभिः, सत्यव्रतारुन्धती। स्वाहा जाम्बवती च रुक्मभगिनी, दुःस्वप्नविध्वंसिनी, वेला चाम्बुनिधेः समीनमकरा, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

6- गंगा सिन्धु सरस्वती च यमुना, गोदावरी नमर्दा, कावेरी सरयू महेन्द्रतनया, चमर्ण्वती वेदिका। शिप्रा वेत्रवती महासुरनदी, ख्याता च या गण्डकी, पूर्णाः पुण्यजलैः समुद्रसहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

7- लक्ष्मीः कौस्तुभपारिजातकसुरा, धन्वन्तरिश्चन्द्रमा, गावः कामदुघाः सुरेश्वरगजो, रम्भादिदेवांगनाः। अश्वः सप्तमुखः सुधा हरिधनुः, शंखो विषं चाम्बुधे, रतनानीति चतुदर्श प्रतिदिनं, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

8- ब्रह्मा वेदपतिः शिवः पशुपतिः, सूयोर् ग्रहाणां पतिः, शुक्रो देवपतिनर्लो नरपतिः, स्कन्दश्च सेनापतिः। विष्णुयर्ज्ञपतियर्मः पितृपतिः, तारापतिश्चन्द्रमा, इत्येते पतयस्सुपणर्सहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

।। इति मंगलाष्टक समाप्त ।।

तुलसी माता की आरती से पहले इस स्तुति का पाठ करें-

1- तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।

2- धन तुलसी पूरण तप कीनो,
शालिग्राम बनी पटरानी ।
जाके पत्र मंजरी कोमल,
श्रीपति कमल चरण लपटानी ॥

3- धूप-दीप-नवैद्य आरती,
पुष्पन की वर्षा बरसानी ।
छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन,
बिन तुलसी हरि एक ना मानी ॥

5- सभी सखी मैया तेरो यश गावें,
भक्तिदान दीजै महारानी ।
नमो-नमो तुलसी महारानी,
तुलसी महारानी नमो-नमो ॥

6- तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।

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।। अथ श्री तुलसी जी की आरती ।।

1- जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
॥ जय तुलसी माता...॥

2- सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता॥
॥ जय तुलसी माता...॥

3- बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता॥
॥ जय तुलसी माता...॥

4- हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता॥
॥ जय तुलसी माता...॥

5- लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता॥
॥ जय तुलसी माता...॥

6- हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता॥
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता॥

7- जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥

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5 comments:

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